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नोएडा – एमिटी का विश्वास है किसी भी प्रौद्योगिकी विकास या खोज तभी सार्थक है जब उसका उत्पाद बन कर लाभ लोगों तक पहुंचे, हम सदैव वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को ना केवल अनुसंधान व नवाचार के लिए प्रेरित करती है बल्कि उद्यमियों को प्रौद्योगिकी को उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित भी करती है।

आज इसी क्रम में एमिटी विश्वविद्यालय के डायरेक्टोरेट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर द्वारा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती की उपस्थिती में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोवियल टेक्नोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा अजित वर्मा द्वारा खोजे गये ‘‘रूटोनिक’’ को मैर्सस एग्रीलैंड बायोटेक लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया। इस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पत्र पर एमिटी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा आर के कपूर और मैर्सस एग्रीलैंड बायोटेक लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री मिराग मंगुकिया ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर मैर्सस एग्रीलैंड बायोटेक लिमिटेड के शोध व विकास के उपाध्यक्ष श्री परेश कंुडू भी उपस्थित थे।मैर्सस एग्रीलैंड बायोटेक लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री मिराग मंगुकिया ने कहा कि हमे ंएमिटी विश्वविद्यालय के साथ प्रौद्योगिकी हंस्तातरण पर हस्ताक्षर करके बेहद प्रसन्नता हो रही है। एग्रीलैंड बायोटेक लिमिटेड देश की एक अग्रणी कृषि जैव प्रौद्योगिकी संगठन है और कंपनी आज के कृषि उद्योग में हो रहे बदलावों के साथ ताल मेल बिठाने के लिए पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल उत्पाद विकसित करने के मेहनत करती है। उन्होनें कहा कि देश के विकास के लिए अकादमिक संस्थानों और उद्योगों के मध्य संबंध का विकसित करने होगे।मैर्सस एग्रीलैंड बायोटेक लिमिटेड के शोध व विकास के उपाध्यक्ष श्री परेश कंुडू ने कहा कि हम एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा कड़ी मेहनत और ज्ञान से दशकों के शोध का मुद्रीकरण करना चाहते है जिन्होने रूटोनिक विकसित किया है और अकादमिक एवं उद्योगों के मध्य के रिक्त स्थान का कम करने में योगदान दिया है। हमारी कंपनी जैविक फफंूदनाशकों, जैविक नेमाटीसाइट्स, वानस्पतिक कीटनाशकों का कारोबार करती है और यह शोध हमारे उत्पादों की श्रृंखला में एक बड़ा मूल्यवर्द्धन होगा।एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस तकनीक के प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में सुधार करने में मदद की है जैसा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में एमिटी शोधकर्ताओं द्वारा वर्षों से किए गए प्रयोगों और केस अध्ययनों में देखा गया है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता एमिटी विश्वविद्यालय और मैर्सस एग्रीलैंड बायोटेक लिमिटेड के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देगा।विदित हो कि रूटोनिक एक जादुई कवक (पिरिफोर्मोस्पोरा इंडिका) है जो कृषि, बागवानी, और उत्पादकता को बढ़ावा देता है। इसकी खोज एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डा अजित वर्मा ने की थी। उत्तर भारत और लेख लद्दाख के अत्यधिक ठंडे रेगिस्तानों सहित गर्म रेगिस्तानों में भी कवक के साथ कई ग्रीन हाउस प्रयोग और क्षेत्रीय परीक्षण किए गये। यह बहुत अनोखा सहजीवी कवक है जो न केवल पौधों का विकास को बढ़ावा देता है बल्कि बहु कार्यात्मक गतिविधियां भी करता है।इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के हेल्थ एंड एलाइड सांइंस के डीन डा बी सी दास, एमिटी विश्वविद्यालय के डायरेक्टोरेट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की डिप्टी डायरेक्टर डा मीनाक्षी कनौजिया और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी डा अमित खरकवाल के भी उपस्थित थी।

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