मुंबई/ फेस वार्ता: आदर्श नगर अंधेरी पश्चिम स्थित शकुंतलम स्टूडियो में नाटक कॉफी हाउस में इंतजार कविताओं का 30 मिनट का का मंचन लॉर्ड्स विन द हार्ट थिएटर समिति द्वारा किया गया लक्ष्मी नारायण लाल द्वारा लिखित नाटक “कॉफी हाउस में इंतज़ार” एक प्रतीकात्मक और विचारप्रधान नाटक है, जिसमें समाज, समय और व्यक्ति के बीच बदलते संबंधों को दर्शाया गया है।
सारांश (सार) – “कॉफी हाउस में इंतज़ार”:
यह नाटक एक कॉफी हाउस के परिवेश में घटित होता है, जहाँ विभिन्न विचारधाराओं और पेशों के लोग—लेखक, कलाकार, नौकरीपेशा, क्रांतिकारी, बुज़ुर्ग—मिलते हैं, विचार विमर्श करते हैं और अपने-अपने अनुभव साझा करते हैं। नाटक का मुख्य प्रतीक “इंतज़ार” है—जो हर पात्र के जीवन में किसी न किसी रूप में मौजूद है:कोई सपनों के पूरे होने का इंतज़ार कर रहा है, कोई पुरानी यादों में खोया हुआ है, कोई क्रांति के आने की आशा में बैठा है,तो कोई खोए हुए संबंधों या अवसरों की प्रतीक्षा में।
नाटक यह दिखाता है कि समय के साथ-साथ कॉफी हाउस की रौनक फीकी पड़ने लगी है, पुराने मित्रों की विचारधाराएं बदल चुकी हैं, और उनके जीवन में निराशा, अकेलापन और असंतोष गहराता जा रहा है।कॉफी हाउस प्रतीक बनता है एक ऐसे स्थान का जहाँ लोग अपनी असफलताओं, सपनों और प्रतीक्षाओं को छोड़कर आते हैं, लेकिन वहाँ भी उन्हें अपने ही प्रतिबिंब और अधूरे वादे मिलते हैं।
मुख्य संदेश:
नाटक इस बात पर प्रकाश डालता है कि समय के साथ आदर्श, संबंध, और व्यक्ति की सोच कैसे बदलती है। यह एक आत्मचिंतनात्मक और आलोचनात्मक दृष्टि देता है आधुनिक समाज और व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर।इस नाटक ने दर्शकों पर अच्छा खासा प्रभाव छोड़ा है।क्योंकि एब्सर्ड नाटक वर्तमान स्थिति में बहुत कम देखने को मिलते हैं।नाटक “कॉफी हाउस में इंतजार” में हमारे सिस्टम पर बहुत ही बेहतरीन संकेतात्मक रूप से तंज व कटाक्ष किया गया है डार्क कॉमेडी के माध्यम से , इसे बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया। इस नाटक में हमारी जटिल तंत्र को व सिस्टम को “एक सज्जन पुरुष” के रूप में दर्शाया गया है। वही हमारी आजादी को एक “गर्लफ्रेंड” के रूप में दर्शाया है और साथ में डार्क कॉमेडी का पंच से नाटक को भरपूर सराबोर किया गया है। जो दर्शकों को आनंदित कर देती है,नाटक की मजबूत पटकथा व कलाकारों की बेजोड़ अभिनय ने पूरे नाटक के दरमियान दर्शकों को पलक झपकने का भी समय नहीं दिया!
मंच पर उपस्थित सभी अभिनेताओं ने अपने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है और बेहतरीन अभिनय से दर्शकों को बांध के रखा। जिसमें मुख्य भूमिका में राजकुमार अहिरवार, गिरीश भूतिया और कृष्णा चौधरी है।
मुख्य पात्रों का विश्लेषण राजकुमार अहिरवार ने एक व्यस्त बुजुर्ग पत्रकार का किरदार निभाया है।जो खुद को स्वतंत्रता का सेनानी भी बताता है और उसे यह विश्वास होता है कि उसके द्वारा ही हम सब को आजादी मिली है।वहीं गिरीश भूतिया ने दूसरा व्यक्ति, एंग्री यंग मैन का किरदार निभाया है।जो सिस्टम और सामाजिक के तंत्र और कुरीतियों से परेशान है और वह सब कुछ बदलना चाहता है।वही कृष्णा चौधरी ने कॉफी हाउस के वेटर का किरदार निभाया है।जो सिस्टम का चाटुकार है,लेकिन खुद को सफेदपोश दिखाता है और दोनों में बहस व झगड़ा करवा कर खूब मजे लेता है।समय-समय पर वह खुशी के मारे नाचने भी लगता है।अब बैकस्टेज की बात की जाए तो प्रकाश परिकल्पना व संचालन विवेक द्विवेदी, द्वारा की गई संगीत परिकल्पना व संचालन किया है हरि कृष्ण
रूप सज्जा जय श्री काशीनाथ मोरे ( आयशा बशारत ) और हेमलता मंच सामग्री विपिन द्विवेदी गिरीश भूतिया कृष्णा चौधरी, वेशभूषा निर्माण अजय राज पंडित, वेशभूषा विन्यास अरविंद राठी,गिरीश भूतिया ज्योति पारछा मंच निर्माण राजीव माइकल, और अमित शर्मा, वीडियोग्राफी अरविंद राठी, फोटोग्राफी विपिन द्विवेदी और मौसमी पॉल,
मंच व्यवस्थापक का कार्यभार मीरा अहिरवार व अशोक अहिरवार ने किया।तो इस तरह कम संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद कठोर परिश्रम के साथ बड़ी ही उम्दा जबरदस्त खूबसूरती से कलाकारों द्वारा एब्सर्ड नाटक “कॉफी हाउस में इंतजार” का सफल मंचन किया गया।कविताएं दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत की हैं कवि-गणअजय शुक्ला बनारसी – सामाजिक और नारी विमर्श जवाहर लाल निर्झर- देश और समाज देबो- कृष्ण भजन,बीमनु श्रीवास्तव “मन”-प्रेरणादायक