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फेस वार्ता नोएडा:- एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज द्वारा ‘‘समकालीन विश्व राजनीति में सीमा प्रबंधन – सुरक्षा एंव उसके परे’’ विषय पर ‘‘विजिगिषु 2024’’ नामक त्रिदिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका आज समापन हो गया। इस समापन समारोह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह, अखिल भारतीय पूर्व सैनिक परिषद के राष्ट्रीय संयोजक लेफ्ट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला और जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशियल सांइस के डीन प्रो कौशल कुमार शर्मा ने अपने विचार रखे।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने छात्रों से कहा कि सीमा प्रबंधन एक जटिल विषय है जिसके प्रबंधन में सरकारों, ब्यूरोक्रेट्स, सेना, अन्य सुरक्षा एजेंसिया सभी का सहयोग आवश्यक है। छात्रों से कहा कि आप देश का भविष्य है और इस सम्मेलन के माध्यम अंर्तराष्ट्रीय संबंधो की बारिकियों को प्रयोगिक माध्यम से समझ रहे है। सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है जिसके लिए संसाधानों की आवश्यकता है। सीमा प्रबंधन, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है जब तक सीमाये सुरक्षित है तब राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित रहती है। उन्होनें कहा कि उद्योग, उर्जा, व्यक्ति सभी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े है। 15 हजार किमी की भूमि बार्डर और 7500 की मैरिटाइम बार्डर को सुरक्षित रखने के तकनीकी एंव संसाधनों का उपयोग किया जाता है। वैश्विकरण के इस वक्त में लोगों को सुरक्षित और आरामदायक मार्ग की आवश्यकता है। मैरिटाइम बार्डर में कार्यप्रणाली एवं निर्धारित किये गये नियमों ने भयमुक्त बनाया है वही भूमि सीमा पर पंजाब जैसे बार्डर पर तारोे की बाड़ एवं सीमाप्रहरी की तैनाती होती है। जनरल वी के सिंह ने कहा कि एमिटी द्वारा आयोजित इस प्रकार के सम्मेलन छात्रों के लिए लाभ प्रद होगें। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक परिषद के राष्ट्रीय संयोजक लेफ्ट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी ने कहा कि भारत ने सदैव नैतिक मूल्यों और विश्व बंधुत्व की भावना को प्राथमिकता दी है। कोविड महामारी ने हमको भी प्रभावित किया किंतु जैसे ही महामारी से लड़ने वाले टीके का निर्माण हुआ हमने उन देशों को भी दिया जो खरीदने में सक्षम नही थे। जब भी कोई देश प्रगति करता है तो उसकी राहों को रोकने के लिए कई देश सक्रिय रहते है आज भारत भी अर्थव्यवस्था, उद्योग, तकनीकी, चिकित्सा लगभग हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। सीमा प्रबंधन के साथ साथ हमारे लिए अंातरिक सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। उन्होनें कई देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि आज कई देश आपस में लड़ रहे है जिसमें मुख्य मुद्दे पीछे छूट गये और अब केवल उकसावे मे युद्ध लड़ा जा रहा है। लेफ्ट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी ने कहा कि हमें केवल भूमि या समुद्री बार्डर ही नही बल्कि स्पेस बार्डर, तकनीकी बार्डर आदि का प्रबंधन भी करना होगा। उन्होनें छात्रों से कहा कि जीवन में राष्ट्र हित, राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र गौरव, राष्ट्र सम्मान और राष्ट्र भक्ती से बड़ा कुछ भी नही है। सीमा सुरक्षा के लिए मजबूत नेतृत्व और सरकार का होना आवश्यक है। एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि तेजी से आपस में जुड़ती दुनिया में, सीमाओं का प्रबंधन दुनिया भर के देशों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है। आतंकवाद, संगठित अपराध, नशीली दवाओं और मनुष्यों की तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय खतरों से उत्पन्न चुनौतियों के साथ-साथ प्रवास प्रवाह के प्रबंधन की जटिलताओं के कारण सीमा सुरक्षा के लिए अभिनव दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, सीमाओं की अवधारणा भौतिक सीमाओं से आगे बढ़कर डिजिटल, आर्थिक और सामाजिक डोमेन को शामिल करती है, जिससे सीमा प्रबंधन का परिदृश्य और भी जटिल हो जाता है। यह सम्मेलन विद्वानों, नीति निर्माताओं और चिकित्सकों को एक साथ लाकर, सम्मेलन सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने, मानवाधिकारों की रक्षा करने, तकनीकी प्रगति का लाभ उठाने, आर्थिक अनिवार्यताओं को संतुलित करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की रणनीतियों का पता लगाएगा। जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशियल सांइस के डीन प्रो कौशल कुमार शर्मा ने कहा कि हमें सबसे पहले विचार करना होगा कि हम सीमा का प्रबंधन करना चाहते है कि सीमा का नियंत्रण करना चाहते है। अगर सीमा पर कोई विवाद है तो बिना सीमा पर नियंत्रण रखें आप उस विवाद को नही समझ सकतेै। प्रो शर्मा ने कहा कि हम बार्डर का प्रबंधन कर विवाद का समाधान नही कर सकते। विश्व में 3 से 4 देशों को छोड़ दे तो लगभग हर देश का सीमा विवाद चल रहा है। भारत की सीमाये कई देशों से जुड़ी है इसलिए विभिन्न देशों के लिए विभिन्न कूटनीति को अपनाना होगा। एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ सोशियल साइंसेस की निदेशक डा निरूपमा प्रकाश ने कहा कि समकालीन विश्व राजनीति में सीमा प्रबंधन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सुरक्षा और उससे परे का उद्देश्य आज सीमा प्रबंधन की बहुमुखी चुनौतियों का समाधान करना है, जिसमें सुरक्षा, मानवीय, तकनीकी, आर्थिक और शासन आयाम शामिल हैं। यह कार्यक्रम व्यापक नीति सिफारिशें विकसित करने, हितधारकों के बीच नेटवर्किंग की सुविधा प्रदान करने और सीमा प्रबंधन में विभिन्न कारकों के बीच जटिल परस्पर क्रिया की समझ को बढ़ाने का प्रयास करता है, जो अंततः अधिक प्रभावी और मानवीय सीमा नीतियों में योगदान देता है इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की निदेशक डा नागालक्ष्मी एम रमन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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