1826 में ‘उदंत मार्तंड’ नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ:डॉ. संदीप मारवाह।
नोएडा। फेस वार्ता:-
विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था उसी वर्ष से पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा जिसका नाम था ” ऐकटा डुरीना। वहीं भारत में छापे की पहली मशीन 1674 में आई लेकिन भारत का पहला अख़बार इस के 100 साल बाद 1776 में प्रकाशित हुआ और इस के प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी के विलेम बॉल्ट्स थे। जहां तक विचारो की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रश्न है वो सबसे पहले 1780 में जेम्स ओगस्टस हीकी का अख़बार ‘बंगाल गज़ेट’ था, जिसमें दो पन्ने होते थे और इस में ईस्ट इंडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत जीवन पर लेख छपते थे । 1819 में भारतीय भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ जो बंगाली भाषा का पत्र ‘संवाद कौमुदी’ था जिसके प्रकाशक राजा राममोहन राय थे
वहीं 1826 में ‘उदंत मार्तंड’ नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ, यह कहना था इंटरनेशनल चैम्बर ऑफ़ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री (आईसीएमईआई), चांसलर व ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिज्म महोत्सव के अध्यक्ष डॉ. संदीप मारवाह का जिन्होंने 12वें ग्लोबल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिज्म का शुभांरभ के अवसर पर आये हुए अतिथियों व छात्रों को संबोधित करते हुए आगे कहा की हर अच्छे काम के पीछे कड़ी मेहनत और लक्षय रखा जाता है तभी जाकर सफलता मिलती है, आज जर्नलिज्म लोकतंत्र के चौथे पायदान के रूप में है। इस अवसर पर कई गणमान्य हस्तियां उपस्थित रही जिसमे सुमित चौधरी संपादक टीवी 9, जसप्रीत कौर वरिष्ठ एंकर, न्यूज़ 18 इंडिया रंजना सिंह राठौड़, वरिष्ठ एंकर न्यूज़ नेशन, फिलिस्तीन दूतावास के अबू ए जाजेर, मीडिया सलाहकार, गिनी दूतावास के फ़या एफ मिलिमौनो, यूपी के पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल, चाड गणराज्य दूतावास के डिल्ला लुसिएन, अल्जीरिया दूतावास के राजदूत महामहिम डॉ. अली अचौई, उज़्बेकिस्तान के राजदूत महामहिम सरदार रुस्तमबायेव, रूसी संघ के दूतावास के काउंसलर पेट्र सिज़ोव प्रमुख रहे। फेस्टिवल का शुभांरभ दीप प्रज्ज्वलन और गणेश वंदना के साथ किया गया साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस का पोस्टर विमोचन व अंबर शर्मा संस्थापक मोगली की पुस्तक “बॉम्बे टू बैंकॉक” का विमोचन किया गया व एनिमेशन प्रदर्शनी एवं फोटोग्राफी प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया। आये हुए अतिथियों को पुरस्कार आजीवन सदस्यता प्रमाणपत्र व उत्सव स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इस अवसर पर महोत्सव निदेशक डॉ. अजय कुमार ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये अंत में उज़्बेकिस्तान कलाकारों द्वारा संगीतमय प्रोगाम भी किया गया।