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फेस वार्ता: ग्रेटर नोएडा:- नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक (सीएसडीएफ) पर एक-सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस संस्करण में नेटवर्क फोरेंसिक, मोबाइल फोरेंसिक, वेब फोरेंसिक, ई-मेल फोरेंसिक और डिजिटल फोरेंसिक में एआई और एमएल की भूमिका पर विशेषज्ञ चर्चा करेंगे।

विश्वविद्यालय के साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोलॉजी केंद्र के हेड प्रोफेसर श्रीकांत ने बताया कि पहले दिन साइबर और डिजिटल फॉरेंसिक विषय पर चर्चा हुई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों में साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक पर जागरूकता प्रदान करना। साइबर स्पेस में सुरक्षा चुनौतियों से सभी को परिचित कराना और साइबर सुरक्षा डिजिटल फोरेंसिक के विभिन्न पहलुओं में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम में नेशनल सिक्यूरिटी एक्सपर्ट अमित दूबे ने कहा कि साइबर हमलों में, डिजिटल फोरेंसिक जांचकर्ता यह पहचानने में मदद कर सकते हैं कि कौन सी जानकारी एक्सेस की गई, चोरी की गई, कॉपी की गई या वितरित की गई। वे पहचान सकते हैं कि क्या हमलावर किसी संगठन के डेटा तक निरंतर पहुंच के साथ सिस्टम में बने हुए हैं। साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञ कंप्यूटर, सर्वर, मोबाइल डिवाइस और नेटवर्क लॉग सहित विभिन्न स्रोतों से डिजिटल साक्ष्य एकत्र करते हैं। इस प्रक्रिया में अदालत में उनकी स्वीकार्यता बनाए रखने के लिए साक्ष्य की अखंडता को संरक्षित करना शामिल है। इस दौरान डॉ निहार रंजन रॉय, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अमृता,डॉ अल्पना मिश्रा,डॉ वेनस डिल्लू और अलवरी केफास क्वाला समेत कई लोग मौजूद रहे।

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