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ग्रेटर नोएडा/ फेस वार्ता: सम्मेलन का उद्देश्य फोरेंसिक विज्ञान, न्याय प्रणाली और डिजिटल सुरक्षा में नवीनतम अनुसंधान, तकनीकी नवाचार और प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करना था। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया। विभिन्न तकनीकी सत्रों, पैनल चर्चाओं और शोध प्रस्तुतियों और पोस्टर प्रतियोगिता के माध्यम से प्रतिभागियों को नवीनतम जानकारी और विशेषज्ञों से संवाद करने का अवसर प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर निम्नलिखित विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए,डॉ. लैला मैनलॉक्स (अर्जेंटीना) – संगठित अपराध और आर्थिक अपराध कानून पर अपने गहन अनुभव और शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से इन अपराधों के प्रभाव और रोकथाम पर चर्चा की। डॉ. सुमीत भाटी (कनाडा) – कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के फोरेंसिक विज्ञान में अनुप्रयोग पर चर्चा की। उन्होंने इन तकनीकों द्वारा अपराधों की जांच और न्याय प्रक्रिया को कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है, इस पर प्रकाश डाला। डॉ. रक्षित टंडन – साइबर सुरक्षा, डिजिटल अपराधों और साइबर अपराध की रोकथाम पर उपयोगी अंतर्दृष्टि दी। उन्होंने डेटा सुरक्षा, व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, और साइबर हमलों से बचाव पर जोर दिया।डा० रक्षित टण्डन को उनके अनेक उत्कृष्ट कार्यों के लिये “फोरेंसिक एक्सीलैंस अवार्ड” से सम्मानित किया गया। डॉ. आशीष बडिये; सरकारी विधि विज्ञान संस्थान, {नागपुर, महाराष्ट्र, भारत} ने अपराध स्थल जांच और पुनर्निर्माण, फिंगरप्रिंट विश्लेषण, संदिग्ध दस्तावेज जांच फोरेंसिक फोटोग्राफी, फोरेंसिक जीवविज्ञान और सीरोलॉजी, फोरेंसिक/भौतिक मानव विज्ञान पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. फनींद्र बी.एन., सीईओ और संस्थापक, Clue-4 Evidence; फॉरेंसिक विशेषज्ञ और अधिवक्ता ने “डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत फॉरेंसिक्स की भूमिका” पर अपने विचार रखे। डॉ. विपिन विजय नायर, एसोसिएट प्रोफेसर ने (विक्टिमोलॉजी और क्रिमिनोलॉजी), पर और ओ.पी. जिंदल ग्लोबल इंस्टीट्यूट के चेयरपर्सन ने एक न्यायपूर्ण समाज और प्रभावी आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए पुनर्स्थापनात्मक न्याय की खोज” पर अपनी बात कही। इसके अतिरिक्त, मौखिक प्रस्तुति सत्र में प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए, जिन्हें प्रतिष्ठित जजों के पैनल द्वारा मूल्यांकित किया गया। उसके उपरांत एक विशेष पैनल चर्चा का आयोजन किया गया, जिसका विषय था “भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023″। इस चर्चा का संचालन डॉ. रणजीत सिंह (SIFS, नई दिल्ली के सीईओ) ने किया। प्रमुख पैनलिस्टों में शामिल थे: प्रो. मेहराज उद्दीन मीर – आपराधिक कानून विशेषज्ञ एवं कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति। प्रो. एन. पी. खान – कानून विशेषज्ञ, जामिया मिलिया इस्लामिया और बेनेट विश्वविद्यालय के पूर्व डीन। इस चर्चा में इन नए कानूनों के प्रभाव, चुनौतियों और न्याय प्रणाली में उनके योगदान पर विचार विमर्श किया गया।विशेष सत्र के दौरान अंकुश मिश्रा (डिप्टी एसपी, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, देहरादून) ने IPDR और CDR विश्लेषण पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने डिजिटल अपराधों के अन्वेषण में इन तकनीकों की महत्ता पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, मौखिक प्रस्तुति सत्र में प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए, जिन्हें प्रतिष्ठित जजों के पैनल द्वारा मूल्यांकित किया गया। सम्मेलन के अंत में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें गलगोटिया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की अद्भुत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। समापन सत्र में सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्षों पर चर्चा की गई और उत्कृष्ट शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। गलगोटियास विश्वविद्यालय के चांसलर श्री सुनील गलगोटिया ने कहा कि “इस सम्मेलन ने फोरेंसिक विज्ञान में वैश्विक सहयोग और अनुसंधान को एक नया मंच प्रदान किया है। हमें गर्व है कि हमने दुनिया भर के विशेषज्ञों को एक साथ लाने का अवसर प्राप्त किया। गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने कहा: “हम अपने विश्वविद्यालय को नवाचार और अनुसंधान का केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सम्मेलन न्याय प्रणाली और फोरेंसिक विज्ञान के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। फ़ोरेंसिक विज्ञान, स्कूल ऑफ बायोसाइंसेस एंड टेक्नोलॉजी, गलगोटियास विश्वविद्यालय के डीन डा० अभिमन्यु झा और डॉ० राजीव कुमार, और डा० विन्नी शर्मा कार्यक्रम में विशेष रूप उपस्थित रहे। आयोजकों, वक्ताओं, शोधकर्ताओं और प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना की गई। इस बात की जानकारी भगवत प्रसाद शर्मा मीडिया कार्यकारी गालगोटियास यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश ने दी।

 

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