फेस वार्ता। भारत भूषण
विदेशों से आये प्रतिनिधियों ने गलगोटियाज विश्वविद्यालय के सुन्दर इन्फ़्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट क्लास रूम, आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित लैबोरेटरियों और स्मार्ट लाइब्रेरी की प्रसंशा की।
ग्रेटर नोएडा:- गलगोटियाज विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय “12वें अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना सम्मेंलन का समापन। समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. रमेश सी. गौर, डीन (अकादमिक) और निदेशक (पुस्तकालय एवं सूचना), प्रमुख – कला निधि प्रभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार रहे। उन्होंने विजयी प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस सम्मेलन में देश विदेश से 300 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया । जिसमें फ्रॉस, जर्मनी, जापान, यू०के० (लन्दन), न्यूयार्क (यूएसए), फ़िलीपींस, इन्डोनेसिया, थाईलैंड, बाँगला देश आदि जैसे कई देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित रहे। इस सम्मेलन में 84 शोथ पत्र भी प्रस्तुत किये गये। और विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया। विदेशों से आये प्रतिनिधियों गलगोटियाज विश्वविद्यालय के सुन्दर इन्फ़्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट क्लास रूम, आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित लैबोरेटरियों और स्मार्ट लाइब्रेरी का अवलोकन करने बाद विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के परिसर को देखने से ही पता चलता है कि सही मायनों में ही गलगोटियाज विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के चहुँमुखी विकास के लिये सदैव कृत संकल्पित है। 29 नवम्बर से 1 दिसंबर 2024 तक चलने वाले इस तीन दिवसीय 12वें अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकालय और सूचना सम्मेलन के समापन समारोह में सम्मेलन की विषयवस्तु पर बोलते हुए एनटीयू सिंगापुर के प्रोफ़ेसर लीचूकेयोंग ने कहा कि लाइब्रेरियन्स को जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अन्वेषण और प्रयोग करना चाहिए ताकि इसकी संभावनाओं और सीमाओं को समझा जा सके।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्ट्रासबोर्ग फ्रॉस के प्रोफ़ेसर जीन चार्ल्स लैमिरल ने बताया कि एआई उपकरणों की हालिया प्रगति अभी भी इस बात पर सवाल उठाती है कि क्या वे सीधे तौर पर पुस्तकालय सेवाओं को बेहतर बनाने के उपकरण के रूप में लागू होने के लिए पर्याप्त हैं। हमें इस बात का विशेष रूप से ध्यान देना होगा। इन्डोनेशिया से आई यूनिवर्सिटी लाइब्रेरीयन डॉ. लाबीबाह जेन ने कहा कि पुस्तकालय गतिविधियों में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के कार्यक्रम को एकीकृत करना आवश्यक है। पुस्तकालय को अपनी गतिविधियों के माध्यम से समाज की समस्याओं का समाधान प्रदान करना चाहिए। न्यूयार्क यूएसए से अमेरिकन लाइब्रेरी की प्रेज़िडेंट डॉ. एमिली ड्राबिंस्की – अपने 7800 किलोमीटर के अमेरिकी पुस्तकालय दौरे के अनुभवों के आधार पर, एमिली ड्राबिंस्की ने इन संस्थानों की शक्ति को साझा किया। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय सांस्कृतिक स्मृतियों को संरक्षित करते हैं, साक्षरता का विस्तार करते हैं, बच्चों को भोजन और मनोरंजन प्रदान करते हैं, और लोगों को सीमाओं के पार जोड़ते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफ़ील्ड यू० के० से डा० लियो एपलैनटोन ने अकादमिक पुस्तकालयों को प्रभावित करने वाले वर्तमान तकनीकी रुझानों और जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GenAI) के साथ काम करने और उसे विकसित करने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर चर्चा की। ऐसी रणनीतियों को अन्य तकनीकी विकास, जैसे ओपन साइंस, ओपन एजुकेशन, और डिजिटल संग्रह के विकास, के साथ पूरक होना चाहिए। जापान की यूनिवर्सिटी त्सुकुबा में एजुकेशन ब्यूरो ऑफ़ लैबोरेटरी स्कूल, लाइब्रेरी और इन्फ़ॉर्मेशन सांइस की डायरेक्टर डॉ. साओरी डोंकाई ने कहा कि
डिमेंशिया फ्रेंडली लाइब्रेरीज़:
सार्वजनिक पुस्तकालयों को सामाजिक उपकरण के रूप में स्थापित करना होगा जो डिमेंशिया के प्रति कलंक को कम करने में सहायता कर सकें। गलगोटियाज विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये सभी प्रतिभागियों और आयोजकों को अपनी शुभकामनाएँ दीं। और कहा कि हमारे पुस्तकालय ज्ञान, अध्ययन और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का आधार हैं, और डिजिटल युग में इनका विकास अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हम नयी तकनीक से पूरी दुनिया में विकास को नई गति देंगे। गलगोटियाज विश्वविद्यालय के लाइब्रेरियन डा० देबल सी० कार ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। गौत्तम बुद्ध यूनिवर्सिटी की डिप्टी लाइब्रेरियन डा० माया देवी ने वोट ऑफ़ थैंक्स करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की। देहली यूनिवर्सिटी के दौलतराम कॉलेज से डा० पवन त्रिपाठी सैशन कॉर्डिनेडर की विशेष भूमिका में रहे।