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फेस वार्ता। भारत भूषण शर्मा:- 

ग्रेटर नोएडा में बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति फोर्टिस हॉस्पिटल ने लोगों को किया जागरूक, मनाई दूसरी वर्षगांठ।

ग्रेटर नोएडा 3 अक्टूबर, 2024: फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा ने अपनी उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर हॉस्पिटल ने लोगों के बीच बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाश डाला। इनमें मोटापा, रेस्पिरेटरी एलर्जी, हृदय रोग, मेटाबॉलिक विकार और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। इस अवसर पर हॉस्पिटल ने इस बात को प्रमुखता से रेखांकित किया कि नियमित स्वास्थ्य जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इन बीमारियों बचा जा सकता है। इस समारोह में जोनल हेड सेल्स एंड मार्केटिंग, श्री पियूष बड़जात्या, हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

ग्रेटर नोएडा और आसपास के इलाकों में बढ़ रही स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा करते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के डायरेक्टर, जनरल सर्जरी, डॉ. जगदीश चंदर ने बताया, “ग्रेटर नोएडा में आम तौर पर पित्ताशय की पथरी और हर्निया की समस्याएं देखी जा रही है. जो पूरे उत्तरी भारत में एक आम समस्या है। लेकिन हाल ही में यहां किशोरों और युवाओं में मोटापे के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका कारण समृद्धि आने के साथ खान-पान की आदतों में बदलाव है। लोग अब पौष्टिक भोजन के साथ-साथ अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का भी सेवन कर रहे हैं। इसके अलावा, चिकन और अन्य खाद्य पदार्थों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल के कारण लड़कों और लड़कियों में बालों का अत्यधिक विकास हो रहा है। मोटापा और अधिक बालों का विकास मिलकर पाइलोनिडल साइनस नामक एक गंभीर समस्या का कारण बन सकते हैं। इस बीमारी का इलाज मुश्किल होता है और सर्जरी के बाद भी दोबारा हो सकता है।फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग के डायरेक्टर डॉ. राजेश कुमार गुप्ता ने बताया, “कोविड-19 महामारी के बाद से, हमने रेस्पिरेटरी एलर्जी, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और हृदय संबंधी जटिलताओं में काफी बढ़ोतरी देखी है। एलर्जी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और दिल की बीमारियां अब 20 साल की उम्र के युवाओं में भी देखने को मिल रही हैं। इसके अलावा, अलग- अलग उम्र के लोगों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के दीर्घकालिक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। ये समस्याएं कोविड इन्फेक्शन या कोविड वैक्सीन, या दोनों के कारण हो सकती हैं।फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. अपूर्व पांडे ने कहा, “कोविड के बाद, हम मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड लिवर डिजीज और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में तीव्र वृद्धि देख रहे हैं। वर्क-फ्रॉम होम संस्कृति की ओर शिफ्ट के कारण लोगों की जीवनशैली अधिक निष्क्रिय हो गई है, जो वयस्कों में मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड लिवर डिजीज की बढ़ती घटनाओं का प्रमुख कारण है, विशेष रूप से 20 से 40 वर्ष की आयु के बीच। इसके अलावा, रिमोट वर्क से संबंधित तनाव आईबीएस के बढ़ते मामलों का एक प्रमुख कारक है, जो 15 से 70 वर्ष की आयु के बीच के विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रहा है। आईबीएस होने के मुख्य कारण तनाव, खान-पान और आंतों की संवेदनशीलता हैं।अस्पताल के सीईओ, डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा, “हम अपनी दो साल की उत्कृष्टता की इस यात्रा पर गर्व महसूस कर रहे हैं और अपनी पूरी मेडिकल टीम और सपोर्ट स्टाफ का धन्यवाद करते हैं। इनकी ही मेहनत और समर्पण ने हमें ग्रेटर नोएडा में एक भरोसेमंद हेल्थकेयर सेंटर बनाया है। इन दो वर्षों में हमने 1 लाख से अधिक मरीजों को इलाज दिया है और 4,000 से ज्यादा सर्जरी की हैं। हमारा उद्‌देश्य हमेशा से बेहतरीन मेडिकल सेवाएं देना और समुदाय की स्वास्थ्य समस्याओं को हल करना है।

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