प्रो. राणा प्रताप सिंह ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार संभाला।
ग्रेटर नोएडा/ फेस वार्ता: गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय को यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि प्रो. राणा प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में पदभार संभाल लिया है। प्रो. सिंह एक प्रख्यात शिक्षाविद, शोधकर्ता और प्रशासक हैं, जिनके पास शिक्षण का 24 से अधिक वर्षों का अनुभव और 31 वर्षों का शोध अनुभव है, विशेष रूप से कैंसर जीवविज्ञान, ट्यूमर थेरेप्यूटिक्स और समग्र चिकित्सा के क्षेत्र में।
इस पद पर नियुक्ति से पहले, प्रो. सिंह ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली में प्रो-वाइस चांसलर (रेक्टर) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने अकादमिक और प्रशासनिक सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में JNU में 2020-21 में स्पेशल सेंटर फॉर सिस्टम्स मेडिसिन की स्थापना और आयुर्वेद बायोलॉजी (BSc-MSc) कार्यक्रम की शुरुआत हुई।इलाहाबाद के इविंग क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने 1993 में JNU से M.Sc. और 2000 में कैंसर बायोलॉजी में Ph.D. पूरी की। इसके बाद, उन्होंने AMC कैंसर रिसर्च सेंटर और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो हेल्थ साइंसेज सेंटर, अमेरिका में पोस्ट-डॉक्टोरल प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनके शोध कार्य का मुख्य क्षेत्र ट्यूमर हेटेरोजेनिटी, कैंसर स्टेम सेल्स, रेडियोथेरेपी प्रतिरोध और सेल सिग्नलिंग रहा है।प्रो. सिंह ने अब तक 190 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जिनके 15,800 से अधिक उद्धरण हैं और उनका H-इंडेक्स 78 है। उन्होंने 22 पीएचडी और 13 एमफिल छात्रों का मार्गदर्शन किया है, 100 से अधिक आमंत्रित व्याख्यान दिए, और 22 अंतरराष्ट्रीय कैंसर सम्मेलन आयोजित किए। उनकी वैश्विक शोध साझेदारियों में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव कैंसर बायोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स की स्थापना शामिल है।उन्हें DHR-ICMR इंटरनेशनल फेलोशिप फॉर सीनियर बायोमेडिकल साइंटिस्ट्स (2024) के तहत जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, अमेरिका जाने का अवसर मिला। वे ICMR, DBT, DST, UGC सहित कई प्रमुख शोध संस्थानों से जुड़े रहे हैं। प्रशासनिक रूप से, उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के संस्थापक डीन और प्रोवोस्ट के रूप में भी कार्य किया है।गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में, प्रो. सिंह का लक्ष्य बहु-विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देना, वैश्विक अकादमिक सहयोग को सुदृढ़ करना और नवाचार आधारित शिक्षा को सशक्त बनाना है। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।