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फेस वार्ता। भारत भूषण शर्मा:-

ग्रेटर नोएडा:- नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में कलाकृतियों और जीव-जंतुओं के अवशेषों के संरक्षण के लिए प्राचीन मानव व्यवहार को लेकर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता श्रीलंका इंस्टिट्यूट ऑफ लोकल गवर्नेंस के डायरेक्टर और सीईओ डॉ डीएम सुरातिस्सा दिसानायके रहे। विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स डायरेक्टर डॉ कपिल दवे, डॉ श्रद्धा एवं डॉ मोइत्रा ने शॉल उठाकर उनका स्वागत किया ।

कार्यक्रम में डॉ डीएम सुरातिस्सा दिसानायके ने कहा कि पुरामानवविज्ञानी विभिन्न तरह की विज्ञानों को एक साथ सही तरीके से इस्तेमाल करके किया जाता है। हमें विभिन्न क्षेत्रों के बारे में बताया जिससे हम इतिहास को एक बार पुन्हा जान सकते हैं। पुरामानवविज्ञानी के द्वारा हम पूर्व मानव बर्ताव के बारे में पता लगा सकते हैं। मानव इतिहास को अच्छे से परखने के लिए सही तरीके से खोजबीन एवं खुदाई करी जानी चाहिए अन्यथा इतिहास बिगड़ सकता है। पुरातात्विक मानव अवशेषों की पुनर्प्राप्ति, अध्ययन और प्रदर्शनी नई चर्चाओं के अधीन हैं। मानव अवशेष बाद की पीढ़ियों के लिए पिछले जीवन का एक स्पष्ट रिकॉर्ड संरक्षित करते हैं। ये अवशेष, भले ही सैकड़ों या हज़ारों साल पहले के हों, अपनी मानवीय गरिमा को बनाए रखते हैं और समुदाय को उनके विश्लेषण, संरक्षण और प्रदर्शन से संबंधित नैतिक मुद्दों पर विचार करने के लिए मजबूर करते हैं। मानव विज्ञान संग्रहालयों के इतिहास, राजनीति और बदलती भूमिकाओं का अवलोकन प्रदान करती है। यह संग्रहालय मानव विज्ञान के विकासशील क्षेत्र की खोज करता है, जिसमें संग्रहालयों के भीतर मानवविज्ञानी द्वारा किए जाने वाले कार्य और संग्रहालयों के मानवशास्त्रीय अध्ययन शामिल हैं।

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