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फेस वार्ता। बी बी शर्मा:-

इस वर्ष गुर्जर महोत्सव नें पिछले साल के सभी मानक पार कर एक नई मिसाल पेश की, और समाज को एक सकारात्मक सन्देश दिआ।

25 दिसंबर 2023 को हरियाणा के सूरजकुण्ड में बड़े हर्ष ओर उल्लास के साथ तीन दिवसिय गुर्जर महोत्सव का समापन हुआ।
इस बार क्या रहा ख़ास, आइये जानते हैँ :
इस वर्ष महोत्सव में बीइंग केयरिंग संस्था के द्वारा रूबरू : दी लिविंग लाइब्रेरी (किताबो से नही जीवंत किरदारों से करे बात) प्रोग्राम के द्वारा 30 से ज्यादा गुर्जर समाज सेवको और कर्मठ लोगो को सम्मान पूर्वक बुलाया गया, एवं उनसे उनकी जीवनी, उन्ही कि ज़ुबानी, आये हुए लाखों लोगों के सामने साझा कि गई। ये जीवनीयां आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत्र साबित हुई। इंसानी किताबों के तौर पर डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षाविद, सरकारी अधिकारी, अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी, युवा नेताओं, समाजसेवी से लेकर इन्फेलुन्सर्स, एक्टर्स तक विभिन्न वर्गों से गणमान्य अतिथियों नें अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।


सभी नें शिक्षा ओर आत्मनिर्भरता का सन्देश देते हुए समाज को कुरीतियों से निकलकर अपने पैरों पर खड़ा होने के प्रेरणा दी।
“रूबरू” कार्यक्रम को डॉ निखिता नागर द्वारा संचालित किया गया। डॉ नागर का कहना है कि गुर्जर समाज एक समृद्ध शाली समाज है। बस हमारी नयी पीढ़ी को एक दिशा कि ज़रूरत है, और रूबरू द्वारा उनको दिशा देने का एक छोटा सा प्रयास किया गया है। एक प्रयास जिसके सहारे जो भी गुर्जर महोत्सव आये वो यहां से अपने साथ कुछ सकारात्मक लेकर जाए।इतिहास गैलरी में गुर्जर समाज के सभी राजाओं और महापुरषों की जीवनी और उनके समय काल के बारे में विस्तार से बताया गया।

संवाद की अलग स्टेज थी जहां पर समाज से जुड़े मुद्दों पर 3 दिन तक बुद्धि जीवियो के साथ सामूहिक चर्चा होती रही जिस में महोत्सव में आई आम जनता ने भी खुल के हिस्सा लिया।

महिला के लिए अलग स्टेज  हिस्सा लेने वाली भी महिलाएं और संचालन करें वाली भी केवल महिलाएं थी। इस स्टेज पर ज्यादातर ग्रामीण महिलाओं को उनका हुनर दिखाने का अवसर दिया गया। लोक गीत एवं लोक नृत्य दिखाए गए। गुर्जरों कि रस्मो रिवाज़ को दिखाया गया, जैसे भात, कीर्तन, हल्दी, बान, मेहंदी, झांजी आदि। दिल्ली एन्सिआर के आसपास के लगभग 20-25 गाँवो कि महिलाओं नें अपनी प्रस्तुति दी। मंच का संचालन गुर्जर महिलाओं द्वारा किया गया जिसमे अल्पना सुहासिनी जी और वंदना टोंगर जी नें अहम भूमिका निभाई। मंच कि व्यावस्था देखने और सभी कार्यभार संभालने के लिए कार्यकारणी टीम में नीतू श्यामदेव भड़ाना, अन्नू भड़ाना, डॉ निखिता नागर, और प्रतिभा बिधूड़ी जी रहें, जिनकी दिन रात कि मेहनत कि बदौलत ये कार्यक्रम सफल हों पाया।
इस बार महोत्सव में मात्रशक्ति का बोल बाला रहा। सभी तरह के कार्य करने में माताएँ, बहनें आगे रही, चाहे वह प्रचार प्रसार हो या मंच संचालन उन्होंने बखूबी अपनी ज़िम्मेदारियां संभाली।

स्कूली बच्चों का *ड्राइंग कंपटीशन* जिसमे हजारों बच्चो ने हिस्सा लिया।

विभिन गांवों की चौपले जहा पर अपने अपने गोत्रों की वंशावली बताई गई।

नगाड़ा कंपटीशन और हमारे लोक गीतों का बखान।

रागनी मंचो से हमारे महापुरषों का गुणगान।

मैन स्टेज पर गुर्जर समाज के कई उभरते सितारे, आर्टिस्ट, गायकों को हजारों लोगो के सामने अपना हुनर दिखाने का मौका दिया गया।

समाज में फैली क्रुरीतियो के खिलाफ लड़ रही सामाजिक संस्थाओं को उनके मिशन को हजारों लोगो तक पहुंचने का अवसर दिया गया। जैसे माता गुर्जरी पन्नाधाये ट्रस्ट, दहेज़ एक अभिशाप निवारण समिति, बेटी फउंडेशन, उम्मीद संस्था, बीइंग केयरिंग आर्गेनाईजेशन, ग्राम पाठशाला इत्यादि।
इस वर्ष गुर्जर महोत्सव नें पिछले साल के सभी मानक पार कर एक नई मिसाल पेश की, और समाज को एक सकारात्मक सन्देश दिआ।

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