ग्रेनो। फेस वार्ता – नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ कंजरवेटिव डैंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स स्कूल ऑफ डेंटल साइंसेज मे दांतों की नसों को संरक्षित रखने का इलाज को लेकर कार्यशाला आयोजन किया गया। कार्यशाला में डॉ रूचीका नवल प्रोफेसर एंड हेड डिपार्टमेंट ऑफ कंजरवेटिव डैंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स मौलाना आजाद डेंटल कॉलेज नई दिल्ली वक्ता के रूप मे उपस्थित रही। उन्होंने युवा नवोदित दंत चिकित्सकों को दांतों की नसो का संरक्षण करने के कई तरीके बताए | उन्होंने ने बताया कि दांतों के तंत्रिका दर्द को रोकने का एक प्रभावी तरीका उन आदतों और खाद्य पदार्थों से बचना है जो दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मरीजों को नर्म ब्रिसल वाले टूथब्रश से धीरे से ब्रश करने और नियमित रूप से फ्लॉस करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
जिन लोगों के दांत संवेदनशील होते हैं, उन्हें अम्लीय खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के साथ-साथ सोडा, वाइन, खट्टे रस और दही सहित चिपचिपे और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। अनाज, कम वसा वाले मांस, फलों और सब्जियों का आहार और चीनी मुक्त आहार लेने की सलाह दी। शारदा स्कूल ऑफ डेंटल साइंसेज के डीन डॉ एम सिद्धार्थ ने छात्रों को अनुसंधान के क्षेत्र में साझा की गई सर्वोत्तम अंतर्दृष्टि का लाभ उठाने को प्रेरित किया। कार्यक्रम में डॉ एकता ने इसके कई फायदो पर चर्चा की और दांतों को नवजीवन देने पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि संवेदनशील नसें दांत की जड़ों में सीमेंटम नामक पदार्थ से ढकी होती हैं। जब नसें अपनी सुरक्षा खो देती हैं, तो वे मुंह में प्लाक, बैक्टीरिया और एसिड के साथ-साथ अत्यधिक तापमान जैसे तत्वों के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं। मसूड़ों की बीमारी उजागर नसों का प्राथमिक कारण है, लेकिन मसूड़ों को खराब करने वाली किसी भी गतिविधि के समान प्रभाव हो सकते हैं, जिसमें कठोर दांत ब्रश करना, धूम्रपान और तंबाकू का उपयोग, दांत पीसना और दांतों का गलत संरेखण शामिल है। दांतों के फटने से नसें भी उजागर हो सकती हैं।