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बदलती लाइफस्टाइल से युवाओं में भी बढ़ रहा हाइपरटेंशन

हर पांचवां व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार

ग्रेटर नोएडा/ फेस वार्ता, हाइपरटेंशन दबे पांव हमारे जीवने में जगह बना रहा है। कुछ लोग तो इसे साइलेंट किलर तक का नाम देते हैं क्योंकि इसके शुरुआती लक्षणों को बड़ी संख्या में लोग नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर बड़ी समस्या का कारण बनता है।

विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर यह समझना ज़रूरी है कि यह बीमारी आज के दौर में एक आम लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। पहले यह समस्या मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में देखी जाती थी लेकिन अब युवाओं में भी इसके मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। रोज ओपीडी में आने वाले वयस्क मरीजों में लगभग 20 से 25 फ़ीसदी मामले हाइपरटेंशन के देखने को आ रहे हैं, वहीं युवा मरीजों में 15-20 प्रतिशत युवाओं को हाइपरटेंशन की समस्या देखने में आ रही है।

हाइपरटेंशन की समस्या उन युवाओं में ज़्यादा देखने को मिलती है जो मोटापे की समस्या से ग्रस्त होते हैं, जिनका खान-पान ठीक नहीं है, जो बॉडी बिल्डिंग के नाम पर बहुत ज़्यादा प्रोटीन लेते हैं। ऐसे बच्चे जिन्हें बचपन में किडनी से सम्बंधित बीमारियाँ होती हैं। उनमें भी हाइपरटेंशन देखने को मिलता है।

हाइपरटेंशन के लिए बदलती जीवनशैली एक एक बड़ी वजह है। फास्ट फूड कल्चर, असंतुलित खान-पान, अत्यधिक तनाव, नशे की आदत, कम नींद, बढ़ता मोटापा, यह सभी कारक हाइपरटेंशन की संभावना को बढ़ाते हैं। यदि हम अपनी दिनचर्या और आदतों में सुधार करें, तो इस स्थिति से बचाव संभव है।कुछ मामलों में युवावस्था में भी हाइपरटेंशन देखने को मिलता है, विशेष रूप से उन लोगों में जो किडनी इंफेक्शन से ग्रसित हैं या जो बॉडीबिल्डिंग के नाम पर अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन सप्लीमेंट्स का उपयोग करते हैं। ऐसे मामलों में न सिर्फ ब्लडप्रेशर बढ़ता है बल्कि शरीर में अनेक प्रकार की मेटाबॉलिक और नॉन-मेटाबॉलिक असामान्यताएँ भी पाई जाती हैं।भारत में लगभग हर पांचवां व्यक्ति ब्लडप्रेशर से परेशान है। यदि इसे समय रहते नियंत्रित न किया जाए तो यह शरीर के हर अंग को प्रभावित कर सकता है। यह मस्तिष्क में लकवे का कारण बन सकता है, आंखों के रेटिना पर असर डालकर दृष्टि को प्रभावित कर सकता है, हृदय पर असर डालकर हार्ट अटैक की स्थिति उत्पन्न कर सकता है और किडनी को नुकसान पहुँचा सकता है। इससे कार्डियोवैस्कुलर बीमारियाँ भी हो सकती हैं।फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के डायरेक्टर इंटर्नल मेडिसिन, डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि हाइपरटेंशन से बचने के लिए नियमित रूप से बीपी की जाँच करवाते रहना ज़रूरी है। अधिक मात्रा में नमक का सेवन न करें, मसालेदार और तला-भुना भोजन कम करें, सेंधा नमक का इस्तेमाल करना बेहतर हो सकता है। जंक फूड और फैटी फूड से परहेज़ करें, वज़न नियंत्रित रखें, समय पर सोएं और उठें, नियमित रूप से व्यायाम करें और दिनचर्या को व्यवस्थित बनाएं।अगर किसी व्यक्ति को हाइपरटेंशन की समस्या है तो उन्हें कुछ आवश्यक जांच अवश्य करवानी चाहिये जैसे किडनी फंक्शन टेस्ट, कोलेस्ट्रोल जाँच, ईसीजी, ईको और यूरिन आदि की जाँच। इन जांचों को अनावश्यक खर्च मानने की धारणा से बचना चाहिये क्योंकि इनका उद्देश्य सिर्फ दवा देना नहीं बल्कि यह जानना भी होता है कि ब्लडप्रेशर का कारण क्या है। कहीं इसका असर किसी अंग जैसे दिल, किड्नी आदि पर तो नहीं पड़ा है। इन बुनियादी जांचों को कराने से गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है या उन्हें टाला जा सकता है।