तहसील दादरी तथा जिला बुलन्दशहर के काफ़ी गाँव अधिसूचित किए गए और उसके बाद वहाँ गाँव की सरकार बनने के लिए पंचायत चुनाव भी हों गए ये क़ानून के नाम पर ये भेदभाव क्यो किया जा रहा हैं:प्रमेन्द्र भाटी एडवोकेट पूर्व अध्यक्ष डिस्ट्रिक्ट सिविल कोर्ट बार एसो नोएडा गौतमबुधनगर


नोएडा विकास प्राधिकरण ,ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण तथा यमुना विकास प्राधिकरण के अधिसूचित गाँवो के निवासियो से उत्तर प्रदेश ओधोगिक विकास अधिनियम १९७६ की धारा १२ का साहरा लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने इन गाँवो में न केवल चुनावों पर रोक लगाई बल्कि तत्कालीन निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियो को शपथ न दिलाकर चुनाव ही रद्द कर दिए गए जबकि इसी क़ानून के होते हुए अभी जल्दी में नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा गौतमबुधनगर की तहसील दादरी तथा जिला बुलन्दशहर के काफ़ी गाँव अधिसूचित किए गए और उसके बाद वहाँ गाँव की सरकार बनने के लिए पंचायत चुनाव भी हों गए ये क़ानून के नाम पर ये भेदभाव क्यो किया जा रहा हैं


यह भी कोई प्रश्न नही है कि उस समय किस पार्टी की सरकार थी क्योंकि वर्तमान सत्ताधारी पार्टी की सरकार की नीयत साफ़ होती तों पूर्व की सरकार द्वारा पंचायत चुनाव से गाँववसियों को वंचित करने के लिए गए फ़ैसले को बदलकर तीनो प्राधिकरण द्वारा इन पूर्व अधिसूचित गाँवो में भी जिस तर्ज़ पर अभी जल्दी में नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा गौतमबुधनगर की तहसील दादरी व जिला बुलन्दशहर की तहसील सिकंदरबाद व ख़ुर्जा क़े अधिसूचित गाँवो में पंचायत चुनाव कराए गए उसी तर्ज़ पर कराए जा सकते थे क्योंकि जो क़ानून इन गाँवो में चुनाव कराने की इजाज़त देता है तों वही क़ानून पूर्व अधिसूचित गाँवो को चुनाव से वंचित करने की इजाज़त कैसे दे सकता हैं ऐसी भेदभाव क़ानूनी व्यवस्था किसी क़ानून की किताब में नही मिल पायी हैं गाँववसियों को पंचयात चुनाव से वंचित करने का ही परिणाम था क़ि वर्तमान सत्ताधारी पार्टी को जिले के लोगों द्वारा भरपूर समर्थन देकर जिले तीनो विधानसभा सीटें बी जे पी की झोली में डाल दीं
माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा भी 2015 में अपने आदेश में स्पष्ट कहा गया था कि यदि सरकार चाहे तो क़ानून में संशोधन कर पंचायत चुनाव करा सकती हैं और यहाँ तों जिस क़ानून के तहत प्रदेश सरकार ने उपरोक्त तीनो प्राधिकरण के पूर्व अधिसूचित गाँवो से उनके संवैधानिक अधिकारो को छिना गया उसी क़ानून से नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित गाँवो में चुनाव कराए गए
नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित गाँवो में पंचायत चुनाव कराए जाने हम स्वागत करते हैं पंचायत चुनाव होने चाहिए ताकि गाँवो को स्थानीय स्तर पर उनका प्रतिनिधि मिल सके और सरकार द्वारा ग्रामीण लोगों के हित में चलायी जाने वाली योजनाओं का सही तरीक़े से गरीब ग्रामीण लोगों को लाभ मिल सके किन्तु सरकार की यें दोहरी मानसिकता प्राधिकरणो के इशारे पर ठीक नही है
हों सकता हैं इन अधिसूचित गाँवो में भी होने वाला चुनाव ये आख़िरी हों या क़ानून का हवाला देकर हों चुके पंचायत चुनाव को सरकार द्वारा रद्द कर दिया जाय क्योंकि जिस क़ानून व संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देकर पूर्व में अधिसूचित गाँवो को गाँव की सरकार बनाने से वंचित कर दिया उसी क़ानून का साहरा लेकर जल्दी में नोएडा विकास प्राधिकरण व डी एम आइ सी प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित व अधिग्रहीत गाँवो को किसी भी दिन पंचायत व्यवस्था से वंचित किया जा सकता हैं अथवा कोई भी चुनाव में मिली हार से खिन्न व्यक्ति अथवा उसका समर्थक तथा पूर्व की भाँति कोई भी व्यक्ति माननीय उच्च न्यायालय में प्राधिकरणो द्वारा अधिसूचित अथवा अधिगृहीत गाँवो में हुए चुनाव को चुनौती दे सकता है जिससे चुनाव में हुए सरकारी धन के खर्च के साथ -२ उम्मीद्वारों द्वारा भी किए गए खर्चे की भरपायी सम्भव नही होगी
मेरा उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह हैं क़ि पूर्व अधिसूचित गाँवो में जबतक स्थानीय स्तर पर कोई संवैधानिक प्रतिनिधित्व मिलने की नयी संवैधानिक व्यवस्था नही बन जाती तब तक पूर्व अधिसूचित गाँवो में भी पंचायत चुनाव करा कर ग्रामीण वसियों को उनका सवैधानिक अधिकार दिया जाय पूर्व अधिसूचित गाँवो में पंचायत चुनाव न होने से न केवल ग्रामीण लोग स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधित्व से वंचित हैं अपितु सरकार की कई लोकप्रिय योजनाओं का गरीब ग्रामीण जनता को उचित लाभ मिलने में काफ़ी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा हैं

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