एमिटी विश्वविद्यालय और डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट के मध्य हुआ तकनीकी हस्तांतरण हस्ताक्षर

फेस वार्ता , भारत भूषण शर्मा :-

नोएडा:-

एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ एमिटी के वैज्ञानिकों द्वारा समाज के आमजन की समस्याओं के निराकरण हेतु विभिन्न शोध कार्यक्रम का संचालन किया जाता है। एमिटी इंस्टीटूयट आॅफ एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज के डा वी के जैन और उनकी टीम द्वारा विद्युत निर्माण और अपशिष्ट जल शोधन तकनीकी का अविष्कार किया गया है। एमिटी विश्वविद्यालय में इस पेटेंट तकनीकी ‘‘ औद्योगिक अपशिष्ट जल से विद्युत निर्माण और उसके साथ बिना किसी बाहय स्त्रोत का उपयोग किये उसी जल को साफ करना” को व्यवसायिक उत्पाद में विकसित करने के एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश और पूणे के डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड के मध्य तकनीकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।

इस तकनीकी हस्तांतरण समझौते कार्यक्रम में निति आयोग के सदस्य डा वी के सारस्वत, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के चांसलर डा अतुल चौहान की उपस्थिती में पूणे के डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और चेयरमैन अनिर्बन सरकार और एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के कुलसचिव डा बी एल आर्या ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के तकनीकी और निति सलाहकार और तकनीकी विकास बोर्ड के सचिव डा नीरज शर्मा, भारत सरकार के डीएसटी के तकनीकी मिशन के वैज्ञानिक डा जी वी रघुनाथ रेड्डी, एमिटी इंस्टीटूयट आॅफ एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज के डा वी के जैन और डा सुमन भी उपस्थित थी।

निति आयोग के सदस्य डा वी के सारस्वत ने इस तकनीकी हस्तांतरण के लिए एमिटी विश्वविद्यालय और पूणे के डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड प्रबंधन दोनो को बधाई देते हुए कहा कि एमिटी के इन्ही सार्थक प्रयासों के जरीए आज एमिटी विश्वविद्यालय नंबर 1 निजी विश्वविद्यालय बन गया है। हमें एमिटी के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों पर गर्व है। हम देश में जल की वर्तमान स्थिती को लेकर सदैव चिंता करते है जहां जल की कमी की समस्या दिन ब दिन बढ़ रही है। पूरे विश्व में जल उपलब्धता की कमी एक भयानक स्थिती का निर्माण कर रही है। ऐसे में एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा वी के जैन और उनकी टीम द्वारा औद्योगिक जल शोधन कर उपयोग में लाने और विद्युत निर्माण की यह तकनीकी एक बेहतरीन कदम है। वर्तमान मे ंहमे इसी प्रकार की सस्ती, क्षमतापूर्ण और स्थायी तकनीकों की अवश्यकता जो आम आदमी की जल जैसे बुनियादी समस्याओं का निवारण करें। कई ऐसी तकनीके उपलब्ध है किंतु उनपर खर्च अधिक र्है। तकनीकी को उत्पाद बनने की प्रक्रिया शोधार्थियों और औद्योगिक का संयुक्त प्रयास होता है।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि एमिटी और डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड के मध्य यह सबंध एक लंबे समय तक कायम रहेगा। कई विशेषज्ञों द्वारा आशंका जताई जा रही है कि अगर जल की कमी इसी तरह होती रही तो आने वाला युद्ध जल के लिए होगा और इसे रोकने में एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा वी के जैन की तकनीकी को विकसित करना आवश्यक है। जल शोधन प्रक्रिया के महत्व को समझते हुए एमिटी के सभी कैंपस में जल शोधन प्लांट लगे है। एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों सदैव आम लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए शोध किये जा रहे और हम छात्रों को शोध के लिए प्रोत्साहित भी करते है।

पूणे के डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और चेयरमैन श्री अनिर्बन सरकार ने संबोधित करते हुए कहा कि हम पिछले कई वर्षो सीवेज शोधन के क्षेत्र में नेतृत्व कर रहे है। हर दिन हम केवल अपने कार्य में नई तकनीकी को जोड़ने और कार्य को और बेहतरीन ढंग से करने पर विचार करते है। एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त इस तकनीकी पर हमें पूर्ण विश्वास है कि इससे लोग अवश्य लाभांवित होगें। श्री सरकार ने कहा कि भारत में नई तकनीकी को अपनाने में कीमत और व्यवहार्यता बहुत अधिक मायने रखती है। एमिटी विश्वविद्यालय के साथ हमारा सहयोग लंबे समय तक कायम रहेगा। वर्तमान समय में जल संरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है। किसी भी राष्ट्र के निर्माण में जल और सड़क महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, सड़क के क्षेत्र में काफी कार्य हो रहा है हमें जल के क्षेत्र में कार्य करना होगा। एमिटी के वैज्ञानिक शोध और नवोन्मेष के क्षेत्र में बेहतरीन है और हमें योजना निर्माण, उत्पादन, क्रियान्वयन और मार्केटिंग के क्षेत्र में दक्षता हासिल है। आपकी मजबूती शिक्षण परिसर के अंदर है हमारी परिसर के बाहर। उन्होनें एमिटी विश्वविद्यालय को सहयोग और अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद प्रदान किया।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के चांसलर डा अतुल चौहान ने कहा कि समाज के लाभ हेतु शोध करने वाले डा वी के जैन और उनकी टीम पर हम सभी को गर्व है। आज राष्ट्र को इस प्रकार के तकनीकों की आवश्यकता है। एमिटी विश्वविद्यालय और डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड मिलकर जल शोधन के क्षेत्र में इस तकनीक के जरीए नई इबारत लिखेंगें। हम मिलकर विश्व में नया परिवर्तन लाने की तैयारी में है।

एमिटी इंस्टीटूयट आॅफ एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज के डा वी के जैन ने ‘‘ औद्योगिक अपशिष्ट जल से विद्युत निर्माण और उसके साथ बिना किसी बाहय स्त्रोत का उपयोग किये उसी जल को साफ करना’’तकनीक के संर्दभ में जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में दो विशेष डिजाइन किये गये डाइवर्स मैटेरियल इलेक्ट्रोड को औद्योगिक अपशिष्ट जल में रखा जायेगा जिससे विद्युत का निर्माण होता और जल भी स्वच्छ होता है जिसे सिंचाई और सफाई के उपयोग हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है। उन्होनें प्रयोग के दौरान नोएडा के कालिंदी कुंज पुल के नीचे बह रही यमुना के प्रदूषित जल का उपयोग किया और जिससे एक कमरे को प्रकाशवान करने हेतु विद्युत उत्पन्न हुई। डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड इस तकनीकी को विकसित करते उच्च पावर की विद्युत उत्पन्न और जल शोधन किया जायेगा। डा जैन ने कहा कि हमने विभिन्न टेक्सटाइल उद्योगों से अपशिष्ट जल का सैंपल लिया और इस तकनीकी के उपयोग के बाद पाया गया कि उसमेें सारे डाइ और रसायन निकल गये है और जल का उपयोग बगीचे और बाथरूम में किया जा सकता है।

विदित हो कि इस विशेष तकनीकी के विकास हेतु भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग द्वारा वित पोषित किया गया है। एमिटी विश्वविद्यालय में  विज्ञान और तकनीकी विभाग द्वारा वित पोषित प्रौद्योगिक सक्षम केन्द्र में व्यवसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास और हस्तांतरण की सुविधा है।प्रौद्योगिक सक्षम केन्द्र के तहत डायरेक्टोरेट आॅफ इनोवेशन एंड टेक्नोलाॅजी ट्रांसफर ने इस प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की है। एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान में सहायता करते हुए 1450 से अधिक पेटेंट फाइल किये जा चुके है और लगभग 10 तकनीकी को व्यवसायिकरण हेतु उद्योगों को हस्तांतरित किया जा चुका है।
  इस कार्यक्रम में पूणे के डेक्कन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड के श्री सुरजित अरोरा, श्री कुवंर जीत सिंह, श्री जय सिंह शिंदे और श्री विजय एम कुलकर्णी के साथ एमिटी विश्वविद्यालय के डीआईटीटी के निदेशक डा दिलिप जे उपाध्याय और एस्सीटेंट डायरेक्टर सुश्री मीनाक्षी कनोजिया भी उपस्थित थी।

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