एडवोकेट चांद राम विश्वकर्मा के साथ अन्य वकीलों ने यूपीएससी लेटरल एंट्री से ज्वाइन सेक्टरी की नियुक्तियों को निरस्त करने के संबंध में राष्ट्रपति को दिया ज्ञापन पत्र
फेस वार्ता:-
दिल्ली :- एडवोकेट चांद राम विश्वकर्मा और अन्य वकीलों ने निम्नलिखित बिन्दुओ पर महामहिम राष्ट्रपति जी का ध्यान आकर्षित कराने के लिए संघ लोक सेवा आयोग में लेटरल एंट्री के विरोध में ज्ञापन सौपा I
- इससे सीनियर अधिकारियों के पदों पर सीधी नियुक्ति की इस प्रक्रिया से मौजूदा व्यवस्ता प्रभावित होगी ओर इस नियुक्ति मे पारदर्शिता की कमी रहेगी |
- बीजेपी खुलेआम अपनों को लाने के लिए पिछला दरवाजा खोल रही है और इससे जो अभ्यर्थी सालो साल मेहनत करते है उनके भविष्य का क्या होगा ?
- सरकार ने इसके लिए जो गाइडलाइन बनाई है उसके अनुसार केंद सरकार मे जाइंट सेक्रेटरी पदो पर लेटरल एंट्री की नियुक्ति मे आरक्षण का लाभ नही मिलेगा | बीजेपी सरकार के अनैतिक कार्य को देखकर पूरे भारत के दलित समाज, पिछड़े समाज मे बीजेपी सरकार के खिलाफ बहुत ज्यादा रोष है |
- ऐसा करने पर सीनियर ऑफिसरों का मनोबल टूटेगा क्योकि जब किसी आईएएस को 15 या 20 साल नौकरी करते हो जाते है तब उसकी सीनियरटी के अनुसार ही जाइंट सेक्रेटरी की नियुक्ति होती है | लेटरल एंट्री से सीधे तौर पर नियुक्ति होने पर सभी सीनियर ऑफिसरों का मनोबल टूटेगा |
- केंद्र सरकार द्वारा कोई भी नियुक्ति पूर्व संघ लोक सेवा आयोग से राय लेकर ही की जाती है लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा निकाली गई नियुक्ति मे संवेधानिक प्रक्रिया का पालन नही किया गया | जिस पर संसद मे भी आवाज उठी लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई |
एडवोकेट चांद राम विश्वकर्मा ने बताया की केंद्र सरकार ने असवैधानिक कदम के तहत विभिन्न सरकारी विभागों में संयुक्त सचिव और निदेशक जैसे प्रमुख पदों पर निजी क्षेत्र के 30 और विशेषज्ञों को सीधे नियुक्त करने का फैसला लेकर एक बार फिर अपने तानाशाही रवैये को दर्शाया है।
यह नौकरशाही में नई प्रतिभा लाने के नाम पर मोदी सरकार का एक निंदनीय कदम है। लैटरल एंट्री ब्यूरोक्रेसी में ‘निजीकरण’ की एक कोशिश है l
अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के लोगों को व्यवस्था से धीरे-धीरे बाहर करने और आरक्षण को घटाने का केंद्र सरकार का घृणित प्रयास हैं । प्रशासनिक सुधार की दिशा में उठाया गया कदम ‘लैटरल एंट्री’ आरक्षण पर खतरा हैं I
यूपीएससी कर्मचारियों का चयन करती थी l अब इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि उन्हें कौन नियुक्त करेगा l सरकार खुद अपने सदस्यों की नियुक्ति करेगी l यूपीएससी में भी 40 फीसदी सीटें कम कर दी गई हैं l उसकी कोई स्वतंत्रता और स्वायत्तता नहीं रह जाएगी I लैटरल एंट्री ब्यूरोक्रेसी में ‘निजीकरण’ की एक कोशिश है l
एडवोकेट चाँद राम विश्वकर्मा के साथ एडवोकेट विशेष रागव,अरविंद सिंह, पी के रागव,दिनेश कुमार गुप्ता,वीके शर्मा,भूपेंद्र सिंह, पुनीत तोमर, गणपति राय मुंडे, मोहन पालीवाल,हैदर अली,विजय सिंह,राहुल सिंह,दीप सिंह तोमर,आँचल चौहन और अन्य एडवोकेट की मौजूदगी में ज्ञापन दिया गया l