राष्ट्र निर्माण पार्टी द्वारा “भारत की गिरती आर्थिक व्यवस्था पर चिंता।
राष्ट्र निर्माण पार्टी द्वारा “भारत की गिरती आर्थिक व्यवस्था का रोजगार एवं व्यवसाय पर दुष्प्रभाव- कारण एवं समाधान” (विशेष रूप से किसानों की समस्याओं के संदर्भ में) विषय पर तीसरा वेबीनार आयोजित किया गया। जिसमें प्रमुख अर्थशास्त्री के रूप में डॉ जेपी सिंह एवं डॉ सुरेश सचदेवा ने अपने विचार प्रकट किए।

डॉ जेपी सिंह, जिन्हें 40 वर्ष का अर्थशास्त्र के अध्यापन का अनुभव है तथा अनेक शोध पत्र प्रकाशित कर चुके हैं, ने मोदी सरकार द्वारा अव्यवस्थित रूप से लागू किए गए लॉकडाउन को अनेक आर्थिक समस्याओं के लिए जिम्मेदार बताया। साथ ही वर्तमान स्थिति में सुधार लाने के लिए बैंकिंग सेक्टर, चिकित्सा, शिक्षा एवं जल प्रबंधन पर ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने करों की वर्तमान दरों में कमी लाने हेतु आह्वान किया। इस विषय में उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा वर्णित कर व्यवस्था का भी उल्लेख किया जिसके अनुसार कर उतना ही लिया जाए जिससे प्रजा में समृद्धि बनी रहे क्योंकि प्रजा की समृद्धि से ही शासक की समृद्धि बढ़ती है।दूसरे वक्ता डॉ सुरेश सचदेवा , जो पी. एच. डी., डी. लिट्.हैं तथा 100 से अधिक अर्थशास्त्र से संबंधित पुस्तकों के लेखक हैं, ने वर्तमान आर्थिक स्थिति को भयावह बताते हुए गिरती जी.डी.पी. के बारे में कहा कि सरकार ने – 23.9% तक अनुमान लगाया है, जबकि वास्तविक रूप में -47. 6% तक गिरने का अनुमान है। ऐसी स्थिति में इसका रोजगार एवं व्यवसाय पर बहुत बुरा प्रभाव होगा साथ ही किसानों को भी इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बैंकिंग सिस्टम में सुधार लाने, बचत(saving) बढ़ाने, इंफ्रास्ट्रक्चर, विशेष रूप से सोलर सेक्टर में विनियोग करने, कृषि क्षेत्र में सुधार करने एवं कृषि उत्पादों का सही मूल्य निर्धारण करना आवश्यक बताया। साथ ही भारत सरकार द्वारा वित्तीय संस्थाओं, विशेष रुप से आर बी आई के कार्य में हस्तक्षेप न करने का अनुरोध किया। इस कार्यक्रम का संचालन राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ आनंद कुमार के द्वारा किया गया उन्होंने बताया यदि वास्तविक जी.डी.पी. की दर -47.6% है तो यह स्थिति बहुत भयावह है। इसके कारण समाज में अशांति, उपद्रव होने की आशंका है। अवसाद एवं निराशा के माहौल में लोग आत्महत्या के लिए प्रेरित होंगे। स्थिति बिगड़ने से पहले ही भारत सरकार एवं राज्य सरकारों तथा अन्य संबंधित एजेंसियों को अर्थ व्यवस्था को चुस्त एवं दुरस्त बनाने की आवश्यकता है।